प्रदेश सरकार ने न्यूनतम वेतन के नाम पर मजदूरों के साथ किया धोखा :
जासं, हिसार : हरियाणा एटक उपप्रधान एमएल सहगल व जिला सचिव का. रूप सिंह ने एक बयान में कहा कि न्यूनतम वेतन 7600 रुपए घोषित करने का कोई औचित्य नहीं है। एटक व अन्य मजदूर संगठन लगातार 15 वें राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के न्यूनतम वेतन तय करने की सिफारिशों तथा इसी सवाल पर रैप्टाकॉस कंपनी बनाम श्रमिकगण मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1992 में दिए गए फैसले के आधार पर 15 हजार रुपए न्यूनतम वेतन करने की माग कर रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा गठित न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड में भी सभी ट्रेड यूनियनों ने एक स्वर में उपरोक्त आधार पर 15 हजार रुपए न्यूनतम वेतन के औचित्य को साबित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने मजदूर संगठनों के तर्काें को न्यूनतम वेतन तय करते समय ध्यान में रखने का आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार ने न्यूनतम वेतन 7600 रुपए तय कर सभी नियमों व तर्काें को ताक पर रख दिया। न्यूनतम वेतन में मात्र आशिक बढ़ोत्तरी ही की है।
जासं, हिसार : हरियाणा एटक उपप्रधान एमएल सहगल व जिला सचिव का. रूप सिंह ने एक बयान में कहा कि न्यूनतम वेतन 7600 रुपए घोषित करने का कोई औचित्य नहीं है। एटक व अन्य मजदूर संगठन लगातार 15 वें राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के न्यूनतम वेतन तय करने की सिफारिशों तथा इसी सवाल पर रैप्टाकॉस कंपनी बनाम श्रमिकगण मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1992 में दिए गए फैसले के आधार पर 15 हजार रुपए न्यूनतम वेतन करने की माग कर रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा सरकार द्वारा गठित न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड में भी सभी ट्रेड यूनियनों ने एक स्वर में उपरोक्त आधार पर 15 हजार रुपए न्यूनतम वेतन के औचित्य को साबित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने मजदूर संगठनों के तर्काें को न्यूनतम वेतन तय करते समय ध्यान में रखने का आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार ने न्यूनतम वेतन 7600 रुपए तय कर सभी नियमों व तर्काें को ताक पर रख दिया। न्यूनतम वेतन में मात्र आशिक बढ़ोत्तरी ही की है।
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