मॉस्को (रूस) - मॉस्को नगर शासकीय न्यायालयद्वारा मॉस्कोके इस्कॉनका श्रीकृष्ण मंदिर १० दिनमें बंद करनेके आदेश दिए हैं । इससे पूर्व यह मंदिर बंद करनेकी मांग की गई थी; किंतु वह प्रलंबित रखी गई । न्यायालयद्वारा प्राप्त आदेशमें यह बताया गया है कि मॉस्को शासनद्वारा इस्कॉन मंदिर निर्माणकार्यके लिए प्रदान की गई भूमिको भक्त खाली करें । (रूस एक ईसाईबहुल देश है । वहां चर्चका आधिपत्य है । रूसमें इस्कॉनके संपर्कमें आनेके पश्चात अनेक ईसाई कृष्णभक्तिमें लीन हो गए । यह बात चर्चको अच्छी नहीं लगती । इससे पूर्व भी न्यायालयने भगवद्गीतापर प्रतिबंध लगानेका दुस्साहस किया था । इससे ईसाईयोंका हिंदूद्वेष स्पष्ट होता है ! - संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. मॉस्को नगर न्यायालयका यह निर्णय इस्कॉनके भक्तोंके लिए धक्कादायी है । उन्हें वह स्थान खाली करनेके लिए आवश्यक अवधि भी नहीं दी गई । भक्तोंके मतानुसार मॉस्को न्यायालयका यह निर्णय दुर्दैवी एवं अत्यंत बुरा है । (रूसको मित्र राष्ट्र संबोधित करनेवाले कांग्रेस शासन क्या इस संदर्भमें रूसके राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिनको फटकारेंगे या सदैवकी भांति चुप रहेंगे ? - संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. शासकीय अधिकारी बिना किसी पूर्व सूचनाके मंदिरमें आए तथा उन्होंने इस्कॉन मंदिरके अस्तित्वका अधिकार निरस्त करनेवाला न्यायालयीन आदेश प्रस्तुत किया । यह निर्णय रूसके इस्कॉन भक्तोंकी धार्मिक भावनाओंका अनादर करनेवाला है ।
३. इस्कॉनको १ करोड ४० लक्ष रुपएका दंड भी सुनाया गया है । साथ ही इस्कॉन मंदिर, वहांके ब्रह्मचारी आश्रम तथा मंदिरके कार्यालय गिरानेके लिए बुलडोजरके व्ययकी पूर्ति भी इस्कॉनको ही करनी पडेगी । (यह गुंडागर्दी हुई ! - संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. शासकीय अधिकारी बिना किसी पूर्व सूचनाके मंदिरमें आए तथा उन्होंने इस्कॉन मंदिरके अस्तित्वका अधिकार निरस्त करनेवाला न्यायालयीन आदेश प्रस्तुत किया । यह निर्णय रूसके इस्कॉन भक्तोंकी धार्मिक भावनाओंका अनादर करनेवाला है ।
३. इस्कॉनको १ करोड ४० लक्ष रुपएका दंड भी सुनाया गया है । साथ ही इस्कॉन मंदिर, वहांके ब्रह्मचारी आश्रम तथा मंदिरके कार्यालय गिरानेके लिए बुलडोजरके व्ययकी पूर्ति भी इस्कॉनको ही करनी पडेगी । (यह गुंडागर्दी हुई ! - संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. मंदिरके पास ही भव्यदिव्य मंडप निर्माण किया गया है । वर्षभर विभिन्न कार्यक्रमके लिए उसका उपयोग किया जाता है । मॉस्को नगर अधिकारी इस मंडपको उद्ध्वस्त करेंगे ।
५. यह कहा जा रहा है कि मॉस्कोमें इस्कॉनपर अत्यंत कठिन प्रसंग आया है । मॉस्को स्थित इस्कॉनकी सुरक्षा हेतु विश्वके इस्कॉन समुदाय प्रयास करें ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
मास्को (रूस)का एकमात्र मंदिर न तोडनेके विषयमें हिंदू जनजागृति समितिद्वारा रूससे पत्रव्यवहार !
पौष कृष्ण ५, कलियुग वर्ष ५११४
रूसके दूतावासद्वारा समितिके पत्रपर विचार
मुंबई - भगवद्गीतापर प्रतिबंध लगानेके प्रयासोंके उपरांत अब रूसी प्रशासनने मास्कोका ‘इस्कॉन’द्वारा निर्मित मंदिर तोडनेका निर्णय लिया है । इस विषयकी जानकारी मिलते ही हिंदू जनजागृति समितिने तत्काल देहली एवं मुंबईके रूसी दूतावासको पत्र भेजकर ‘इस्कॉन’का मंदिर न तोडनेका आग्रह किया है । देहलीके रूसी दूतावासने इस पत्रपर ध्यान दिया तथा आगेकी कार्यवाहीके लिए उसे मास्को भेज दिया है । दूतावासने हिंदू जनजागृति समितिके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरको सूचित किया है कि इस विषयमें जो भी निर्णय होगा, वह समितितक पहुंचा दिया जाएगा । समितिने पत्रकी एक प्रति भारतके प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंहको भी भेजकर उनसे विनती की है कि भारत सरकार इसमें हस्तक्षेप करे एवं रूसकी सरकारको रोके । रूसमें हिंदुओंका एकमात्र मंदिर तोडनेका समाचार मिलते ही हिंदू जनजागृति समितिके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरने अपने ‘हिंदूजागृति डॉट ओआरजी’ जालस्थानपर (वेबसाइट) जनजागृति अभियान आरंभ किया है । इस अभियानमें देश-विदेशके धर्माभिमानी हिंदू सम्मिलित हुए हैं ।
स्त्रोत - दैनिक सनातन प्रभात समितिने रूसके दूतावासको लिखे पत्रमें कहा है कि १५ जनवरी २०१३ तक इस्कॉनका मंदिर तोडा जानेवाला है, यह समाचार सुनकर संपूर्ण हिंदू समाजकी भावनाएं आहत हुई हैं । हिंदू धर्ममें मंदिरका विशेष महत्त्व है । ये मंदिर भक्त तथा भगवानको जोडनेका एक माध्यम हैं । वे ही हिंदुओंकी आधारशिला तथा हिंदुओंको धर्मशिक्षा प्रदान करनेका एकमात्र स्थान हैं । यह मंदिर न तोडा जाए । यदि रूसमें स्थित हिंदुओंका मंदिर तोडा गया, तो विश्वभरके करोडों हिंदुओंकी धार्मिक भावनाएं आहत होंगी । इसलिए भारतके मित्रराष्ट्र रूसको इस ओर ध्यान देना चाहिए ।
रूसका इस्कॉन मंदिर तोडनेके लिए हिंदू जनजागृति समितिका विरोध !
पौष कृ. २, कलियुग वर्ष ५११४
छोटीसी हिंदू जनजागृति समिति यह कार्य कर सकती है, तो बलशाली हिंदुत्वनिष्ठ संगठन क्यों नहीं कर सकते ?
मुंबई, २९ दिसंबर (संवाददाता) - रूसकी सरकारने उनके देशमें स्थित हिंदुओंका एकमात्र मंदिर हटानेका निर्णय लिया है । १५ जनवरीतक 'अंतरराष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत' संप्रदायका (इस्कॉन) मॉस्को स्थित मंदिर तोड दिया जाएगा । ( संपूर्ण विश्वमें हिंदू संस्कृति नष्ट करनेका बीडा उठानेवाले धर्मद्रोही ईसाइयोंका षड्यंत्र पहचानें ! - संपादक ) इस कृत्यका हिंदू जनजागृति समितिद्वारा विरोध किया गया है । समितिने इस संदर्भमें पत्रव्यवहार एवं निषेध अभियान तत्परतासे प्रारंभ कर दिया है । कुछ महिने पूर्व श्रीमदभगवत्गीतापर प्रतिबंध लगानेका प्रयास रूसकी सरकारद्वारा किया गया था, उस समय समितिने तुरंत ही निषेध व्यक्त कर आंदोलन आरंभ किया था ।
समितिके पत्रमें क्या लिखा गया है ?
मंदिर हिंदू धर्मकी आधारशिला हैं । रूसमें मंदिर तोडे जानेपर विश्वके करोडों हिंदुओंकी धार्मिक भावनाएं आहत होंगी । विश्वके हिंदू उसका विरोध कर सकते हैं, साथ ही दो मित्रराष्ट्रोंमें तनाव निर्माण हो सकता है तथा भारतके रूसके साथके हितसंबंध संकटमें आ सकते हैं । इसलिए यह निर्णय शीघ्र ही पीछे लीजिए !
हिंदू जनजागृति समितिने इस विषयमें क्या किया है ?
१. भारतमें स्थित रूसी दूतावासको निषेध पत्र भेजकर मांग की है कि इस मंदिरको तोडनेसे रोका जाए !
२. देहलीके रूसी दूतावासके प्रतिनिधियोंसे संपर्क किया गया है । उन्होंने कहा है कि 'आगेकी कार्यवाही हेतु मॉस्कोमें निषेधपत्र भेज दिया गया है उत्तर आते ही निर्णयके विषयमें सूचित करेंगे ।'
३. मुंबईके जुहूके 'इस्कॉन मंदिर'के श्री. बृजबिहारीदासको पत्र भेजकर रूसकी मांगके लिए संगठितरूपसे विरोध करने हेतु निवेदन किया है !
४. इस विषयमें ध्यान देनेके लिए प्रधानमंत्रीको भी पत्र !
५. इस संदर्भमें रूसकी सरकारका निषेध व्यक्त करनेके लिए हिंदू जनजागृति समितिके जालस्थलपर सुविधा उपलब्ध !
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