कंपनियों के 1,100 वित्तीय लेनदेन पर खुफिया नजर
नई दिल्ली। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कंपनियों द्वारा किए गए 1,100 वित्तीय लेनदेन पर खुफिया एजेंसियों की नजर है। केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड [सीबीईसी] को बीते वर्ष के दौरान पिछले छह वर्ष में सबसे ज्यादा 1,130 संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट [एसटीआर] मिलीं। वहीं, भारत सरकार को फ्रांस में भारतीयों की कुल 565 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है।
वर्ष 2011-12 के दौरान बोर्ड की दो प्रमुख खुफिया इकाइयों राजस्व खुफिया निदेशालय [डीआरआइ] और केंद्रीय खुफिया उत्पाद महानिदेशालय [डीजीसीईआइ] को वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया इकाई [एफआइयू] से मनी लॉन्ड्रिंग व कालेधन के सौदों के आरोप से जुड़ी रिपोर्ट मिलीं। डीआरआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एफआइयू द्वारा दी गई एसटीआर पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस मामले से जुड़े बैंक और कंपनियों से भी ब्योरा मांगा जाएगा। वर्ष 2010-11 के दौरान एफआइयू ने 121 एसटीआर साझा की थीं। वहीं, एफआइयू ने 2009-10 में 96, 2008-09 में 26, 2007-08 में 14 और 2006-07 में 10 एसटीआर साझा कीं।
मनी लॉन्ड्रिंग निषेध कानून, 2002 के मुताबिक हर बैंक को संदिग्ध लेनदेन का ब्योरा मुहैया कराना होता है। डीआरआइ मुख्यालय और इसकी क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा एसटीआर की पूरी जांच से देश में और देश के बाहर अवैध धन के मामलों को पकड़ने में मदद मिली। अधिकारी ने बताया कि जांच में कुछ अहम जानकारिया भी हासिल हुई हैं, जिनके आधार पर पड़ताल की जा रही है। जानकारी को जांच एजेंसियों के साथ साझा किया जा रहा है।
आयकर अधिकारियों के मुताबिक फ्रांस में भारतीयों की कुल 565 करोड़ रुपये की अघोषित आय का भी पता चला है। यह जानकारी दोनों देशों के बीच दोहरा कराधान बचाव समझौते के तहत मुहैया कराई गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड [सीबीडीटी] ने संसद की सार्वजनिक खाता समिति को बताया कि कर अधिकारियों ने 219 मामलों में 565 करोड़ रुपये की कुल अवैध आय और 181 करोड़ के कर का पता लगा लिया है।
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